Monday, January 21, 2019

अफ़सोस

तजुर्बों में खुद को यूँ घोला तो था, खुद से अमूमन ये बोला तो था
खूब तन्हाई में खालीपन है, खला है, फिर भी बदतर है इश्क़, दूर रहना भला है

था भरोसा हमें हो गए हैं सयाने, नाजाने फिर दिल आज कैसे जगा है
है डरता बहुत फिर भी अपनी चलाता, अफ़सोसन मुझे इश्क़ होने लगा है 

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