तजुर्बों में खुद को यूँ घोला तो था, खुद से अमूमन ये बोला तो था
खूब तन्हाई में खालीपन है, खला है, फिर भी बदतर है इश्क़, दूर रहना भला है
खूब तन्हाई में खालीपन है, खला है, फिर भी बदतर है इश्क़, दूर रहना भला है
था भरोसा हमें हो गए हैं सयाने, नाजाने फिर दिल आज कैसे जगा है
है डरता बहुत फिर भी अपनी चलाता, अफ़सोसन मुझे इश्क़ होने लगा है