किसी बात का ग़म मुझे अब क्यों नहीं होता
सब रोते हैं जहाँ मैं वहां क्यों नहीं रोता
क्या खून है ये आज भी या बन गया पानी
कितना उबालो इसको, मैं आपा नहीं खोता
मैं झूठ के आंसू तो बहाने को बहा दूँ
इन आंसुओं से दिल कभी हल्का नहीं होता
बड़े युन्ही लड़ते यहाँ बच्चे युन्ही हँसते
सब ऐसा ही रहता यहाँ गर मैं नहीं होता
कोहराम है, इस शहर की अब नींद है हराम
मैं सो गया थक कर जहाँ कोई नहीं सोता
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